सउदी अरब को टैंक बेचने के जर्मन फैसले पर बवाल – DW – 05.07.2011
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सउदी अरब को टैंक बेचने के जर्मन फैसले पर बवाल

५ जुलाई २०११

जर्मनी द्वारा सउदी अरब को टैंक बेचे जाने के फैसले का विरोध हो रहा है. विपक्ष के बाद अब सत्ता पक्ष में भी इस फैसले पर सवाल उठाए जा रहे हैं. इसी सप्ताह इस मुद्दे पर संसद में बहस होगी.

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तस्वीर: dapd

सउदी अरब को 200 लियोपार्ड टैंक बेचने की योजना का सत्ताधारी पार्टी में भी विरोध हो रहा है. चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू-सीएसयू पार्टी के संसदीय दल के महानिदेशक पेटर अल्टमायर ने स्वीकार किया है कि उनकी पार्टी के अंदर भी इस सौदे पर अलग अलग विचार हैं.

औपचारिक रूप से सउदी अरब को अरबों यूरो के टैंक बेचने के फैसले पर अभी तक कोई टिप्पणी नहीं हुई है. डेअ श्पीगेल पत्रिका के अनुसार राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने पिछले सप्ताह ही सौदे को हरी झंडी दे दी थी. सरकारी हलकों में इसका खंडन नहीं किया गया है. इसके विपरीत सउदी अरब से आई खबरों की पुष्टि नहीं हुई है कि पहले टैंकों की सप्लाई हो गई है. हथियार विशेषज्ञों का मानना है कि यह सौदा 1.7 अरब यूरो के मूल्य का है.

विपक्ष ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के फैसले की कड़ी आलोचना की है. ग्रीन संसदीय दल के नेता युर्गेन ट्रिटीन ने चांसलर मैर्केल की सरकार पर सभी पार्टियों की सहमति को तोड़ने का आरोप लगाया है.ट्रिटीन कहा, "अब तक तय था कि संकट क्षेत्र में हथियार नहीं बेचे जाएंगे, इसे तोड़ दिया गया है."

विपक्ष के आवेदन पर संसद के निचले सदन बुंडेसटाग में इसी सप्ताह बुधवार या गुरुवार पर इस सौदे पर चर्चा होगी. शून्यकाल में होने वाली बहस में सरकार इसके बारे में अपनी ओर से जानकारी भी देगी. विपक्षी एसपीडी के संसदीय दल के उपनेता गैरनॉट ऐर्लर ने कहा, "संसद का हक है कि वह सरकार से जानकारी मांगे."

चांसलर अंगेला मैर्केल और विदेश मंत्री गीडो वेस्टरवेले पर लोकतांत्रिक आंदोलन को खोखला समर्थन देने के आरोप लगाए जा रहे हैं. सउदी अरब की निरंकुश सरकार ने हाल ही में बहरीन में लोकतांत्रिक आंदोलन को दबाने में मदद दी थी और अपने टैंकों और सैनिकों को वहां भेज दिया था.

ट्रिटीन ने कहा, "ऐसी सरकार को इस तरह से ऐसे हथियार बेचने का फैसला अब तक किसी रंग की सरकार ने नहीं किया था." टैंकों का निर्माण क्राउस-मफाई वेगमन कंपनी ने किया है और उसमें कल पुर्जे बनाने वाली कई कंपनियों की भागीदारी है.

रक्षा मंत्री थोमास डे मिजियेर और कैबिनेट के अन्य सदस्यों ने टैंक के सौदे के बारे में कोई जानकारी देने से मना कर दिया. डे मिजियेर ने कहा, "संघीय सुरक्षा परिषद की बैठक गोपनीय होती है और ऐसा ही रहेगा."

रिपोर्ट: एजेंसियां/महेश झा

संपादन: एस गौड़

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