आंख की पुतली जितना कंप्यूटर – DW – 26.02.2011
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आंख की पुतली जितना कंप्यूटर

२६ फ़रवरी २०११

तकनीक जैसे जैसे बढ़ रही है, उपकरणों का आकार उतना ही छोटा होता जा रहा है. आज आप एक छोटे से आई पॉड में हजारों गाने ले कर चलते हैं, आने वाले समय में आप अपनी आंख में एक कंप्यूटर ले कर घूमेंगे.

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तस्वीर: AP

वैज्ञानिकों का दावा है कि उन्होंने दुनिया का सबसे छोटा कंप्यूटर तैयार किया है जिसका आकार केवल एक मिलीमीटर स्क्वेअर है. यह इतना छोटा है कि इसे आंख की पुतली में फिट किया जा सकता है. इस कंप्यूटर को आंख की बीमारी ग्लॉकोम या कांचबिंदु के इलाज के लिए इस्तेमाल किया जाएगा. इस बीमारी में आंख की रोशनी कम होने लगती है.

इस कंप्यूटर की रचना मिशिगन यूनिवर्सिटी में की गई है. अभी इसे कोई नाम नहीं दिया गया है. आकार भले ही छोटा सा हो, लेकिन इस कंप्यूटर में एक माइक्रो-प्रोसेसर, एक प्रेशर सेंसर, मेमरी चिप और एक पतली बैटरी लगी है. इसमें एक सोलर सेल लगा है जिसे चार्ज करना भी बेहद आसान है. एक रोशनी वाले कमरे में दस घंटे में यह सेल चार्ज हो सकता है, या फिर सूरज की रोशनी में केवल डेढ़ घंटे में.

Multimedia Auge Cyberwar
तस्वीर: Fotolia/Kobes

वायरलेस नेटवर्क से जुड़ेगा कंप्यूटर

साथ ही इसमें वायर-लेस रेडियो भी है, जिसके एंटीने से रीडर तक डाटा ट्रांसमिट किया जा सकता है. इस रेडियो को ट्यून करने की जरूरत नहीं है, यह वायरलेस नेटवर्क से ही बाहरी कंप्यूटरों से जुड़ सकेगा. इसमें एक खास तकनीक का प्रयोग किया गया है, जिसके चलते बैटरी का इस्तेमाल बहुत ही कम होता है. यह कंप्यूटर हर 15 मिनट बाद नाप लेता है और फिर खुद ही बंद हो जाता है. इसकी मेमरी में एक हफ्ते तक के रिकॉर्ड फीड किए जा सकते हैं.

इस कंप्यूटर को तीन वैज्ञानिकों की टीम ने तैयार किया है, प्रोफेसर डेनिस सिल्वेस्टर, डेविड ब्लाऊ और डेविड वैन्ट्सलौफ. इनका मानना है कि इस आकार के कंप्यूटर कई तरह से काम आ सकते हैं. इन वैज्ञानिकों की कोशिश है कि ये इस तरह के उपकरण को प्रदूषण को नापने और चौकसी बढ़ाने के काम में भी प्रयोग में ला पाएंगे. आकार छोटा होने से निर्माण में भी मदद मिलेगी, "क्योंकि यह आकार में इतने छोटे हैं, इसलिए आप एक ही बारी में हजारों चिप्स तैयार कर सकते हैं." इस कंप्यूटर को बाजार में आने में अभी कई साल लगेंगे, लेकिन अभी से इसे कंप्यूटर के भविष्य के रूप में देखा जा रहा है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: ओ सिंह

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