ट्रैफिक लाइट से बात करने वाली बसें कम कर रही हैं हादसे – DW – 09.09.2024
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तकनीकसंयुक्त राज्य अमेरिका

ट्रैफिक लाइट से बात करने वाली बसें कम कर रही हैं हादसे

९ सितम्बर २०२४

यूटा के परिवहन अधिकारियों ने पिछले कुछ सालों में एक ऐसा सिस्टम विकसित किया है, जिसमें कम्यूटरीकृत बसों के अंदर लगे रेडियो ट्रांसमीटर सीधे ट्रैफिक सिग्नल से बात करते हैं

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स्मार्ट ट्रैफिक लाइट्स का काल्पनिक चित्र
हादसे कम कर सकता है स्मार्ट ट्रैफिकतस्वीर: Aston University

अमेरिका के यूटा प्रांत के सबसे बड़े शहर में ट्रैफिक के समय रेड लाइट से बचने का राज है, बस के पीछे चलें क्योंकि अमेरिका के यूटा में इस्तेमाल हो रही तकनीक के जरिए कंप्यूटरीकृत बसों के अंदर लगे रेडियो ट्रांसमीटर सीधे ट्रैफिक सिग्नल से बात करते हैं और बस के पास आने पर ग्रीन लाइट से कहते हैं कि कुछ अतिरिक्त सेकेंड तक ग्रीन रहे.

अधिकारी कहते हैं कि इस तकनीक का असर दिखाई दे रहा है और ट्रैफिक पहले से काफी सुगम हो गया है. लेकिन यह उस उच्च-तकनीकी अपग्रेड की केवल एक छोटी सी झलक है, जो यूटा और अंततः पूरे अमेरिका की सड़कों पर जल्द ही आ सकता है.

सड़कों की नई स्मार्ट तकनीक

अमेरिकी सरकार की दो करोड़ डॉलर की योजना से प्रेरित और "कनेक्ट द वेस्ट" की महत्वाकांक्षी योजना के तहत, लक्ष्य यह है कि यूटा और पड़ोसी कोलोराडो व व्योमिंग राज्य में हर वाहन एक-दूसरे से और सड़क के बुनियादी ढांचे से जुड़ सके. इससे ट्रैफिक जाम, हादसे, सड़क की समस्याएं और मौसम की स्थिति के बारे में रीयल-टाइम में जानकारी मिलेगी.

इस जानकारी से ड्राइवर तुरंत जान सकेंगे कि उन्हें किसी और रास्ते से जाना चाहिए. इसके लिए किसी तरह का अलर्ट भेजने की भी जरूरत नहीं होगी.

आपसे बात करेगी कार

यूटा के ट्रांसपोर्टेशन टेक्नोलॉजी इंजीनियर ब्लेन लियोनार्ड बताते हैं, "एक वाहन हमें सड़क पर हो रही कई घटनाओं के बारे में बता सकता है. शायद उसने तेजी से ब्रेक लगाया हो, वाइपर ऑन किया हो, या हो सकता है कि उसके पहिए फिसल रहे हों. वाहन हमें हर सेकेंड में 10 बार डेटा भेजता है, जो हमें लगातार जानकारी देता है."

सड़क सुरक्षा में क्रांति

जब कारें रीयल-टाइम में एक-दूसरे और सड़क के सेंसरों के साथ जानकारी साझा करती हैं, तो इसे वी2एक्स (व्हीकल-टु-एवरीथिंग) तकनीक कहा जाता है. पिछले महीने अमेरिका के परिवहन मंत्रालय ने एक राष्ट्रीय योजना की शुरुआत की, जिसमें राज्यों, स्थानीय सरकारों और निजी कंपनियों को यह सुनिश्चित करने को कहा गया है कि सभी वी2एक्स प्रोजेक्ट सही दिशा में काम कर रहे हों.

अधिकारी कहते हैं कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य एकदम स्पष्ट है कि सड़क पर होने वाली मौतों और गंभीर चोटों को कम किया जाए, जो हाल के वर्षों में ऐतिहासिक स्तर पर बढ़ गई हैं.

स्मार्ट होती जा रही हैं कारें

2016 में राष्ट्रीय राजमार्ग यातायात सुरक्षा प्रशासन के एक विश्लेषण में पाया गया कि वी2एक्स तकनीक के सिर्फ दो शुरुआती प्रयोगों को लागू करने से 4,39,000 से 6,15,000 हादसे रोके जा सकते हैं और 987 से 1,366 लोगों की जान बचाई जा सकती है.

इसी साल मीडिया से बातचीत में, डैन लैंगनकैंप ने अमेरिका के राज्यों की सरकारों से आग्रह किया कि वी2एक्स तकनीक को जल्द से जल्द लागू करें. लैंगनकैंप की पत्नी सारा लैंगनकैंप 2022 में मैरीलैंड में साइकिल चलाते समय एक ट्रक से टकरा गई थीं और उनकी मौत हो गई थी.

डैन लैंगनकैंप ने कहा, "जब हमें पता है कि हमारे पास खुद को एक आपदा से बचाने की शक्ति है तो हम कैसे इस तकनीक को तेजी से लागू करने से देर कर सकते हैं?”

गोपनीयता पर चिंता

जनता में इस तकनीक को लेकर कुछ प्रतिरोध भी है, खासकर प्राइवेसी के सवाल पर. वी2एक्स योजना व्यक्तिगत जानकारी की सुरक्षा का वादा तो करती है, लेकिन कुछ लोगों को अभी भी इसके बारे में संदेह है.

आलोचकों का कहना है कि सिस्टम भले ही विशेष वाहनों को ट्रैक न करे, लेकिन इसके पास पर्याप्त पहचान योग्य जानकारी जुटाने की क्षमता है. जैसे, अगर कोई कार विशेष वजन वर्ग की है और नियमित रूप से एक खास समय पर एक विशेष सड़क पर जाती है, तो इससे यह अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं होगा कि वह कार किसकी है.

अमेरिकी परिवहन मंत्रालय का लक्ष्य है कि 2028 तक देश के 75 बड़े मेट्रो क्षेत्रों के कम से कम एक चौथाई सिग्नल वाले चौराहों पर यह तकनीक लगा दी जाए. सॉल्ट लेक सिटी इस योजना में तेजी से आगे बढ़ चुकी है. 20 फीसदी से अधिक चौराहों पर यह तकनीक लग चुकी है.

दिख रहा है असर

यूटा में अधिकारियों ने पहले ही "कनेक्ट द वेस्ट" योजना के तहत बसों और बर्फ हटाने वाली गाड़ियों के डेटा का उपयोग करके सड़क के ट्रैफिक को बेहतर बनाने का काम शुरू कर दिया है. रेडवुड रोड पर एक बस मार्ग को अपग्रेड किया गया और वहां के लोगों ने ट्रैफिक में राहत महसूस की है.

भारत में सड़क हादसों में सबसे ज्यादा युवाओं की जान जा रही है

पांडा चाइल्ड केयर की सहायक निदेशक जेनी डुएनास बताती हैं, "जो भी कर रहे हैं, वह काम तो कर रहा है. हमने ट्रैफिक को काफी हद तक कम होते देखा है, जिससे बच्चों को ले जाना और लाना आसान हो गया है."

यूटा ट्रांजिट अथॉरिटी के बस कम्युनिकेशन सुपरवाइजर, केसी ब्रॉक ने बताया कि इन परिवर्तनों से ट्रैफिक में सुधार हुआ है. उन्होंने कहा, "यात्रियों के नजरिए से, यह बस एक अच्छे ट्रैफिक वाला दिन हो सकता है. वे यह नहीं जानते होंगे कि पर्दे के पीछे क्या चल रहा है."

स्मार्ट सड़कें अमेरिका भर में जल्द ही ट्रैफिक को सुरक्षित और सुगम बनाने का रास्ता तैयार कर रही हैं.

वीके/सीके (एपी)

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