लीबिया पर सैनिक कार्रवाई के लिए बढ़ा दबाव – DW – 08.03.2011
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लीबिया पर सैनिक कार्रवाई के लिए बढ़ा दबाव

८ मार्च २०११

लीबिया में हालात बिगड़ते ही जा रहे हैं. ब्रिटेन और फ्रांस ने उड़ान प्रतिबंधित करने को कहा है तो नाटो महासचिव ने कहा है कि वो सैन्य हस्तक्षेप के लिए तैयार हैं. विपक्षियों ने गद्दाफी के बैठक के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है.

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तस्वीर: AP

लीबिया में विपक्ष और सरकारी सैनिकों के बीच लड़ाई जारी है. अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस कठिनाई से निपटने के तरीके ढूंढ रहा है. ब्रिटेन और फ्रांस ने लीबिया को नो-फ्लाई जोन बनाने की बात कही है. गौरतलब है कि गद्दाफी विरोधियों की बनाई राष्ट्रीय परिषद ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से वहां उड़ान प्रतिबंधित क्षेत्र बनाने की मांग की थी. हालांकि इसे किस तरह से लागू किया जाए इस पर अभी भी बात चल रही है.

उधर अमेरिका ने कहा है कि वो सभी विकल्पों के बारे में सोच रहा है और जरूरत पड़ने पर सैन्य कार्रवाई भी की जा सकती है. हालांकि रूस ने विदेशी सैन्य कार्रवाई पर आपत्ति जताई है. नाटो के महासचिव जनरल आंदर्स फो रासमूसेन ने संयुक्त राष्ट्र के हस्तक्षेप पर जोर डालते हुआ कहा है, "मेरे लिए यह कल्पना करना भी मुश्किल है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय और संयुक्त राष्ट्र चुपचाप खड़े हो कर देखते रहेंगे कि किस तरह से गद्दाफी और उनकी सरकार वहां के लोगों पर जुल्म कर रही है." उन्होंने यह भी कहा कि उन्होंने अपनी सेना को तैयार कर लिया है ताकि किसी भी वक्त जरूरत पड़ने पर वो फौरन कार्रवाई शुरू कर सकें.

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तस्वीर: picture alliance / dpa

दस लाख लोगों को मदद की जरूरत

अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा है कि वो लीबिया के लोगों को इस बात का साफ संकेत देना चाहते हैं कि वो लोकतंत्र के आदर्शों को दबाए जाने वाली इस हिंसा के खिलाफ पूरी तरह से लोगों के साथ हैं और उन्हें इस से बाहर निकालने के लिए हर कोशिश करेंगे.

संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि लीबिया में फसे दस लाख लोगों तक जल्द से जल्द मदद पहुंचाने की जरूरत है. संयुक्त राष्ट्र की राहत कार्य संयोजक वैलरी अमोस ने कहा, "मानवतावादी संगठनों को फौरन ही काम पर लगने की जरूरत है. लोग घायल हैं, मर रहे हैं, उन्हें तुरंत मदद की जरूरत है." संयुक्त राष्ट्र ने अगले तीन महीने में लीबिया में राहत कार्य करने के लिए 16 करोड़ डॉलर की मदद की अपील की है. इस से वहां फंसे लोगों तक खाना, दवाइयां पहुंचाई जा सकेगी.

इस बीच गद्दाफी विरोधियों ने मिसराता शहर को अपने कब्जे में कर लिया है. एक प्रत्यक्षदर्शी ने बताया कि वहां लोगों को अस्पतालों में ले जाया जा रहा है लेकिन उनके इलाज के लिए दवाइयां मौजूद नहीं हैं. राजधानी त्रिपोली से 50 किलोमीटर दूर जाविया शहर भी विरोधियों के कब्जे में रहा. यहां विपक्ष और सरकारी सैनिकों के बीच लड़ाई चल रही है. टीवी पर दिखाए जा रहे तस्वीरों में यह भी देखा गया कि सरकारी सैनिकों ने एक दस साल के बच्चे की गोली मारकर ह्त्या की.

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तस्वीर: picture alliance/dpa

सम्मानजनक विदाई चाहते हैं गद्दाफी

अल जजीरा ने अपने टीवी चैनल पर बताया है कि विपक्षियों ने कर्नल गद्दाफी के बैठक के प्रस्ताव को ठुकरा दिया है. माना जा रहा है कि इस बैठक में गद्दाफी के साथ एक समझौते पर आने की कोशिश की जा सकती थी. चैनल ने बताया है कि इस समझौते के तहत गद्दाफी देश से सम्मानजनक विदाई चाहते थे जो उनके विपक्षियों को मंजूर नहीं था. इसीलिए बैठक के प्रस्ताव को खारिज कर दिया गया. अल जजीरा और दो अन्य अरब अखबारों में छपी खबरों के मुताबिक गद्दाफी किसी नतीजे पर पहुंचने से पहले अपनी और अपने परिवारजनों की सुरक्षा का पूरा इंतजाम करना चाहते हैं.

लीबिया के विदेश मंत्री मूसा कूसा ने देश के बुरे हालात का जिम्मेदार पश्चिमी देशों और अल कायदा को बताया है.

रिपोर्ट: एजेंसियां/ईशा भाटिया

संपादन: एन रंजन

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